कविता स्कूल के दिनों की मस्ती School Life Hindi Poem (2021)school Best 2023

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने स्कूल के दिनों में मस्ती की है? अगर की है तो आपको हमारी school life hindi poem पुरानी student life वाली यादें फिर से ताज़ा कर देगी और आपको ये स्कूल के दिनों की मस्ती वाली कविता पढ़ कर बहुत मज़ा भी आएगा.
स्कूल तो सभी ही जाते है लेकिन जैसे जैसे हम बड़े होते है हमारे स्कूल के वो दोस्त भी हमसे बिछड़ जाते है और हम सब अपने काम में ही बिजी हो जाते है ऐसा मेरा भी हाल है लेकिन अगर कोई बचपन का स्कूल वाला दोस्त मिल जाये तो पुरानी यादें फिर से ताज़ा हो जाती है..
आज मुझे मेरा स्कूल वाला दोस्त मिला था तो कुछ यादें हमने एक दूसरे के साथ शेयर की उसमे से एक स्कूल कांड बहुत फनी स्टूडेंट लाइफ वाला किस्सा इस कविता के माध्यम से आप तक पंहुचा रहा हो तो इसे ज़रूर पढ़े….
मेरी स्कूल लाइफ हिंदी पोएम एक सच्चा किस्सा है इसलिये आप इसे ज़रुर पढ़े और अपने दोस्तों के साथ शेयर ज़रूर करे…

 

याद आती है वो यादें प्यारी..

क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..
स्कूल जाते थे हम सब मिल के..
स्कूल के दिनों के वह दोस्त मिल के..
 
स्कूल जाते वक़्त लगता था वह पेड़..
जहा लगते थे अमरूद और बेर…
देखते ही कूद पड़ते थे हम सब शेर…
स्कूल यूनिफार्म करके थोड़ा सैल..
 
क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..
 
तब करते पत्थर के हमले…
भरते फिर हमारी मुट्ठी के गमले
ऐसा थोड़ी देर ही चलता..
नहीं तो गाली सुनना ही पड़ता…
 
क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..
 
तब आती स्कूल जाने की बारी..
पर हमें बोर होती थी वो प्रेयर(prayer) हमारी…
इसकी सजा मिलती थी हमें रोज..
खा के मास्टर जी के डण्डे बहुत..
 
क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..
 
क्लास में जब हम चले जाते..
पूरी क्लास हमें हसता ही पाते..
जब कोई पुछे इसपे क्वेश्चन(question)…
हम कहते हम हैं ही बेशरम..
 
क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..
 
जब पढ़ते थे हम पाठ…
तब किस्मत छोड़ती थी हमारा साथ..
याद तो तब रह जाता था …
स्कूल छूटते ही सब सपाट हो जाता था..
 
क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..
 
मिल के सब जाते थे ग्राउंड..
सबसे ज्यादा क्रिकेट का साउंड..
बॉल तो बैट (bat) पे आ जाती थी…
हारने का जश्न मना जाती थी..
 
क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..
 
उसके बाद घर जाने का मन करता..
लेकिन मज़बूरी से क्लास जाना ही पड़ता..
फिर वो पढ़ाई ना हो पाती हमसे..
आखिर मार खाना ही पड़ता..
 
क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..
 
आखिर स्कूल छूट ही जाती..
कान में घंटा बज ही जाती…
यु तो स्कूल से जाने का मन नहीं करता..
आखिर स्कूल से घर जाना ही पड़ता…
 
क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..
 
फिर से दूसरा दिन है निकलता..
स्कूल जाने को मन ही करता…
ऐसी हमारी स्कूल कहानी…
दोस्तों से है मस्ती न्यारी..
स्कूल की है ये पूरी कहानी..
 
क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..

Yaad aati hai wo yaadein pyari

 

Kya thi woh bachpan ki zindgani..
Yaad aati hai wo yaadein pyari..
School jate the hum sab milke..
School ke dino ke woh dost milke..
School jate waqt lagta tha woh ped..
Jaha lagte the amrud aur ber…
Dekhte hi kud padte the hum sab sher…
School uniform karke thoda sail..
Kya thi woh bachpan ki zindgani..
Yaad aati hai wo yaadein pyari..
Tab karte patthar ke hamle…
Bharte fir hamari mutthi ke gamle
Aisa thodi der hi chalta..
Nahi to gali sunna hi padta…
Kya thi woh bachpan ki zindgani..
Yaad aati hai wo yaadein pyari..
Tab aati school jane ki bari..
Par hame bore hoti thi wo prayer hamari…
Iski saza milti thi hame roj..
Khake master ji ke dande bahot..
Kya thi woh bachpan ki zindgani..
Yaad aati hai wo yaadein pyari..
Class me jab hum chale jate..
Puri class hame hasta hi pate..
Jab koi puchhe ispe question…
Hum kehte hum hai hi besharam..
Kya thi woh bachpan ki zindgani..
Yaad aati hai wo yaadein pyari..
Jab padhte the hum path…
Tab kismat chhodti thi hamara sath..
Yaad to tab rah jata tha …
School chhutate hi sab sapat ho jata tha..
Kya thi woh bachpan ki zindgani..
Yaad aati hai wo yaadein pyari..
Milke sab jate the ground..
Sabse jada cricket ka sound..
Ball to bat pe aa jati thi…
Harne ka jashn mana jati thi..
Kya thi woh bachpan ki zindgani..
Yaad aati hai wo yaadein pyari..
Uske baad ghar jane ka man karta..
Lekin majburi se class jana hi padta..
Fir wo na padhai na ho pati hamse..
Akhir mar khana hi padta..
Kya thi woh bachpan ki zindgani..
Yaad aati hai wo yaadein pyari..
Akhir school chhut hi jati..
Kan me ghanta baj hi jati…
Uhh to school se jane ka man nahi karta..
Akhir school se ghar jana hi padta…
Kya thi woh bachpan ki zindgani..
Yaad aati hai wo yaadein pyari..
Fir se dusra din hai nikalta..
School jane ko man hai karta…
Aisi hamari school kahani…
Doston se hai masti nyari..
Kya thi woh bachpan ki zindgani..
Yaad aati hai wo yaadein pyari..
कविता स्कूल के दिनों की मस्ती School Life Hindi Poem (2020)
School life student poem image

क्या दिन थे वो जब हम स्कूल जाते थे..

क्या दिन थे वो जब हम स्कूल जाते थे..
हर एक ख़ुशी को मनाया करते थे..
मन करे तब खेलने जाते थे..
साथ बैठकर एक दूसरे का खाना खाते थे..
 
क्या दिन थे वो जब हम स्कूल जाते थे..
हर एक ख़ुशी को मनाया करते थे..
 
एक चॉकलेट दस लोगों में बांटते थे..
सजा मिली तो भी खुश हो जाते थे..
बिना पहचान के दोस्ती कर लेते थे..
कुछ पल के लिए ही झगड़ते थे..
 
क्या दिन थे वो जब हम स्कूल जाते थे..
हर एक ख़ुशी को मनाया करते थे..
 
फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाते थे..
एक दिन अचानक सब बड़े हो गए..
अपनी ही दुनिया में सब खो गए..
एक दूसरे से सब बिछड़ते गए..
 
क्या दिन थे वो जब हम स्कूल जाते थे..
हर एक ख़ुशी को मनाया करते थे..
 
देखे हुए सपनों को हक़ीकत में बदलते गए..
फिर एक दिन जीवन जग मगा गया..
जैसे आसमान ध्रुवा तारों से हो भर गया..
दिलों में बचपन की यादें छोड़ गया..
 
क्या दिन थे वो जब हम स्कूल जाते थे..
हर एक ख़ुशी को मनाया करते थे..
 
इतने सालों बाद भी हम साथ है..
इस बात का हमको एहसास दे गया..
पहचान का क्या वो तो हो ही जाएगी..
ध्रुव तारे है हम इसमें ही सब मिल गया..
 
क्या दिन थे वो जब हम स्कूल जाते थे..
हर एक ख़ुशी को मनाया करते थे..

Kya din the wo jab hum school jate the..

Kya din the wo jab hum school jate the..
Har ek khushi ko manaya karte the..
man kare tab khelne jate the..
Saath baithkar ek dusare ka khana khate the..
Kya din the wo jab hum school jate the..
Har ek khushi ko manaya karte the..
Ek chocolate das logon me bantte the..
Saja mili to bhi khush ho jate the..
Bina pehchan ke dosti kar lete the..
Kuchh pal ke liye hi jhagdte the..
Kya din the wo jab hum school jate the..
Har ek khushi ko manaya karte the..
Fir se dosti ka hath badhate the..
Ek din achanak sab bade ho gaye..
Apni hi duniya me sab kho gaye..
Ek dusre se sab bichadte gaye..
Kya din the wo jab hum school jate the..
Har ek khushi ko manaya karte the..
Dekhe huye sapno ko hakikat me badalte gaye..
Fir ek din jeevan jagmaga gaya..
Jaise aasman dhruva taaron se ho bhar gaya..
Dilon me bachpan ki yadein chhod gaya..
Kya din the wo jab hum school jate the..
Har ek khushi ko manaya karte the..
Itne saalo baad bhi hum sath hai..
Iss baat ka humko ehsaas de gaya..
Pehchan ka kya wo to ho hi jayegi..
Dhruva tare hai hum isme hi sab mil gaya..
Kya din the wo jab hum school jate the..
Har ek khushi ko manaya karte the..

Final Words :

मेरी school life hindi poem अपने ज़रूर पूरी पढ़ी होगी और मज़ा भी बहुत आया होगा और आपको अपने स्कूल वाले दिन ज़रूर याद आये होंगे जो अपने student life में अपने फ्रेंड्स के साथ मस्ती में बिताए होंगे..
स्कूल लाइफ पर हिंदी पोएम लिखने का मेरा यही हेतु था कि आपको थोड़ा लाइफ में पिछली दुनिया की यादें ताज़ा कर सकूँ और चेहरे पे थोड़ी हसि ला सकूँ तो हसी तो ज़रूर आई होगी ये कविता पढ़ कर तो ऐसे हसते रहिये और हमारी लिखी कविताएं पढ़ते रहिये और शेयर ज़रूर करिए गा…

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