दोस्तो, आज हमने summer season poem in hindi का लेख लिखा है, जो कि गर्मी के मौसम पर आधारित है, जिसे हमने कविता के माध्यम से आप तक पोहचाने कि कोशिश की है, जिसमे आपको गर्मी के दिनों की याद दिलाता है, और गर्मी में कैसे अपने आप को बचाना है ये भी सिखाता है, ये कविताएँ आपको बहुत पसंद आनेवाली है।
आपको तो पता ही है कि, गर्मी का मौसम जब आता है, तो लोगों को कितनी परेशानी होती है, सर को ढक कर ही बाहर निकलना पड़ता है, पानी ठंडा है तो सही है, नही तो पानी पीने का मन भी नही करता, और पानी मिलना बहुत कठिन होता है, क्योंकि गर्मी के मौसम में तालाब नदिया सुख सी जाती है, और पानी का संभालकर उपयोग करना पड़ता है।
अगर हम पेड़ लगाए वो भी ज्यादा से ज्यादा तो गर्मी का असर कम हो सकता है, इसीलिए पेड़ लगाना जरूरी है दोस्तो आगे जाकर हमे पानी की दिक्कत न हो तो इसीलिए हमने आज गर्मी पर बेहतरीन कविता लिखी है, इसे पूरा जरूर पढ़ें।
Summer poem in hindi
कैसी है ये धुप रे बाबा,
कैसी है ये धुप,
गली गली में कोने कोने,
जाती है ये धुप।
छाव न दिखे मुझे कही पर,
ऐसी है ये धुप,
घर से मैं बाहर ना निकलू,
ऐसी है ये धुप।
दूर दूर तक मै बाहर देखु,
कड़क तपती है ये धुप,
रस्ते पर कोई नहीं भटकता इस धुप में,
ऐसी है ये धुप।
पानी के लिए हर कोई तरसता,
इस धुप में पानी भी नहीं बरसता,
पानी पीने को नहीं मिले तो,
मार ही डालेगी ये धुप।
कैसी है ये धुप रे बाबा,
कैसी है ये धुप,
गली गली में कोने कोने,
जाती है ये धुप।
इस धुप में पागल हो जाये,
बाहर घूमने कोई न जाये,
पता नहीं कब कम होगी ये धुप रे बाबा,
कैसी है ये धुप।
गाड़ी का टायर पंचर कर जाये,
पेट्रोल की भी वाट लगाए,
संभल कर गाड़ी चलाना,
खतरनाक है ये धुप।
कैसी है ये धुप रे बाबा,
कैसी है ये धुप,
गली गली में कोने कोने,
जाती है ये धुप।
कैसी है ये धूप रे बाबा कविता
Kaisi hai ye dhup re baba,
Kaisi hai ye dhup,
Gali gali me kone kone,
Jati hai ye dhup..!
Chhav na dikhe mujhe kahi par,
Aisi hai ye dhup,
Ghar se mai bahar na niklu,
Aisi hai ye dhup..!
Dur dur tak mai bahar dekhu,
Kadak tapti hai ye dhup,
Raste par koi nahi bhatkta iss dhup me,
Aisi hai ye dhup..!
Pani ke liye har koi tarsta,
Iss dhup me pani bhi nahi barasta,
Pani pine ko nahi mile to,
Maar hi dalegi ye dhup..!
Kaisi hai ye dhup re baba,
Kaisi hai ye dhup,
Gali gali me kone kone,
Jati hai ye dhup..!
Iss dhup me pagal ho jaye,
Bahar ghumne koi na jaye,
Pata nahi kab kam hogi ye dhup re baba,
Kaisi hai ye dhup..!
Gadi ka tyre panchar kar jaye,
Petrol ki bhi waat lagaye,
Sambhal kar gadi chalana,
Khatarnak hai ye dhup..!
Kaisi hai ye dhup re baba,
Kaisi hai ye dhup,
Gali gali me kone kone,
Jati hai ye dhup..!
Summer season poem in hindi
ये मौसम है गर्मी का,
कड़कती धुप से बचने का।
स्कूल की छुट्टियां मनाने का,
मामा के गाँव को जानेका।
घर में कूलर लगाने का,
ठंडी हवा में सोने का।
दोस्तों के साथ घूमने जाने का,
खुप सारा एन्जॉय करने का।
घर में अच्छे पकवान खाने का,
मम्मी के गुण गाने का।
खरीद कर तरबूज़ लाने का,
सब मिलके घर में खाने का।
कानों को ढक कर ही बाहर निकलने का,
सबको यही सिखाने का।
ये मौसम है गर्मी का,
कड़कती धुप से बचने का।
Short summer poems in hindi
Ye mausam hai garmi ka,
Kadakti dhoop se bachne ka..!
School ki chuttiyan manane ka,
Mama ke gaon ko janeka..!
Ghar me coolar lagane ka,
Thandi hawa me sone ka..!
Dosto ke sath ghumne jane ka,
Khup sara enjoy karne ka..!
Ghar me achhe pakwan khane ka,
Mummy ke gun gane ka..!
Kharid kar tarbooz lane ka,
Sab milke ghar me khane ka..!
Kano dhak kar hi bahar niklne ka,
Sabko yahi sikhane ka..!
Ye mausam hai garmi ka,
Kadakti dhoop se bachne ka..!
Poem on summer in hindi
आया आया आया आया,
गर्मी का ये मौसम आया।
बहुत सारी धूप ले आया
साथ में गर्म हवा ले आया।
सबको ये डराने आया,
सबको घर के अंदर भगाने आया।
सबने अपने घर कूलर लगवाया,
जब गर्मी का ये मौसम आया।
सबको ठंडा पानी पिलवाया,
खुद को गर्मी का बादशाह कहलवाया।
नदियाँ नालों को सुखाया,
पानी की सबके घर नौबत लाया।
लोगों को बहुत परेशान बनाया,
गर्मी का मौसम लोड शेडिंग है लाया।
गर्मी के मौसम से राहत दिलाया,
जब पेड़ की छाव ने सहारा दिलाया।
आया आया आया आया,
गर्मी का ये मौसम आया।
Poem on summer season hindi
Aaya aaya aaya aaya,
Garmi ka ye mausam aaya!
Bahut sari dhup le aaya
Sath me garam hawa le aaya..!
Sabko ye darane aaya,
Sabko ghar ke andar bhagane aaya..!
Sabne apne ghar coolar lagwaya,
Jab garmi ka ye mausam aaya..!
Sabko thanda pani pilwaya,
Khud ko garmi ka badshah kehalwaya..!
Nadiya nalo ko sukhaya,
Pani ki sabke ghar naubat laya..!
Logon ko bahut pareshan banaya,
Garmi ka mausam load shedding hai laya..!
Garmi ke mausam se rahat dilaya,
Jab ped ki chhav ne sahara dilaya..!
Aaya aaya aaya aaya,
Garmi ka ye mausam aaya..!
गर्मी पर हास्य कविता
आया मौसम ये गर्मी का,
मामा के घर जाने का।
वह जाकर मामा को सताने का,
ढेर सारी चॉकलेट खाने का।
रसना हो या निम्बू शरबत हो,
ठंडा ठंडा दबाकर पिने का।
एसी या कूलर में रहने का,
शाम तक मस्त सोने का।
शाम को मामा के पीछे लगने का,
मामा को आइस-क्रीम खिलाने बोलने का।
दबाकर चार पांच आइस-क्रीम खाने का,
शरीर को ठंडा करने का।
दोस्तों के साथ जमकर खेलने का,
रात में कुत्ते जैसे सोने का।
गर्मी से हमेशा बचने का,
शाम को ही घर से बाहर निकलने का।
आया मौसम ये गर्मी का,
मामा के घर जाने का।
आया मौसम गर्मी का कविता
Aaya mausam ye garmi ka,
Mama ke ghar jane ka..!
Waha jakar mama ko satane ka,
Dher sari chocolate khane ka..!
Rasna ho ya nimbu sharbat ho,
Thanda thanda dabakar pine ka..!
Ac ya coolar me rehne ka,
Sham tak mast sone ka..!
Sham ko mama ke pichhe lagne ka,
Mama ko ice-cream khilane ko bolne ka..!
Dabakar char panch ice-cream khane ka,
Sharir ko thanda karne ka..!
Dosto ke sath jamkar khelne ka,
Raat me kutte jaise sone ka..!
Garmi se hamesha bachne ka,
Sham ko hi ghar se bahar nikalne ka..!
Aaya mausam ye garmi ka,
Mama ke ghar jane ka..!
summer holiday poem in hindi
सारी और है गर्मी छाई,
गर्मी स्कूल की छुटियाँ लायी..!
गर्मी ने स्कूल की प्रॉब्लम छुड़ाई,
लेकिन गर्मी पीठ पर घमोरियां लायी..!
अब क्या करे इतनी तेज़ गर्मी जो आई,
घर में ही बैठ जा मेरे भाई।
ठंडी हवा का मज़ा ले भाई,
दोपहर को घर से बाहर मत निकलना भाई।
चाहे आये कुल्फी या गोला वाला,
बाहर तुझे नहीं है जाना।
कितना भी गोला खाने का जी ललचाये,
बाहर कोई निकल न पाये।
गर्मी अगर एक बार लग जाये,
फिर तुमसे कुछ संभल न पाये।
शाम तक तुम घर पर ही ठहर जाओ,
मम्मी की बातें थोड़ी बहुत सुनते जाओ।
अच्छे से गर्मी की छुट्टियाँ मनाओ,
गर्मी में खुद का ध्यान तुम रखते जाओ..!
सारी और है गर्मी छाई,
गर्मी स्कूल की छुटियाँ लायी..!
सारी और है गर्मी छाई कविता
Sari aur hai garmi chhai,
Garmi school ki chhutiyan layi..!
Garmi ne school ki problem chhudai,
Lekin garmi pit par ghamoriyan layi..!
Ab kya kare itni tez garmi jo aayi,
Ghar me hi baith ja mere bhai..!
Thandi hawa ka maza le bhai,
Dupehar ko ghar se bahar mat nikalna bhai..!
Chahe aye kulfi ya gola wala,
Bahar tujhe nahi hai jana..!
Kitna bhi gola khane ka ji lalchaye,
Bahar koi nikal na paye..!
Garmi agar ek baar lag jaye,
Fir tumse kuch sambhal na paye..!
Sham tak tum ghar par hi thehar jao,
Mummy ki batein thodi bahut sunte jao..!
Acche se garmi ki chhuttiyan manao,
Garmi me khud ka dhyan tum rakhte jao..!
Sari aur hai garmi chhai,
Garmi school ki chhutiyan layi..!
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कुछ आखरी शब्द :
आज लिखी हुई summer season poem in hindi आपने पूरी पढ़ ली हो तो आपको जरूर हमारे इस summer poem in hindi से कुछ सीखने को मिला होगा, जिससे आप गर्मी में अपना खयाल जरूर रखेंगे और दूसरों को भी इसके बारे में सचेत करोगे।
आशा करता हु की हमारी kavita on summer season in hindi आपको जरूर अच्छी लगी होगी। अगर अच्छी लगी हो तो ऐसेही हिंदी कविता यहाँ पढ़ते रहे।